भील जननायक राणा पूंजा इतिहास .... हल्दी घाटी युद्ध में अपनी सारी शक्ति झोंकने वाला वीर योद्धा.....

K-Tech Bhilwara
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69 بار بازدید - 3 سال پیش - k teck bhilwara @ mahaveer
k teck bhilwara @ mahaveer Suthar video creat by BL jangid एडिटर .. @KTechBhilwara https://youtu.be/5w_nf8dOTzo https://youtu.be/BiEUeTJBntA आप इस चैनल पर नये hoto is channel ko subscribe jarur kre taki are aane wale video dekh paye uske liye aapko channel subscribe kar bell icon ko press Krna hoga taki aane wale notification aapko mil paye 🙏🙏🙏 राणा पूंजा भील राणा पूंजा मेवाड़ एक भील योद्धा थे, जिन्होंने हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ दिया था। युद्ध में पूंजा भील ने अपनी सारी ताकत देश की रक्षा के लिए झोंक दी। हल्दीघाटी के युद्ध के अनिर्णित रहने में गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का ही करिश्मा था, जिसे पूंजा भील के नेतृत्व में काम में लिया गया। परिचय इतिहास में उल्लेख है कि राणा पूंजा भील का जन्म मेरपुर के मुखिया दूदा होलंकी के परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम केहरी बाई था, उनके पिता का देहांत होने के पश्चात 15 वर्ष की अल्पायु में उन्हें मेरपुर का मुखिया बना दिया गया। यह उनकी योग्यता की पहली परीक्षा थी, इस परीक्षा में उत्तीर्ण होकर वे जल्दी ही ‘भोमट के राजा’ बन गए। अपनी संगठन शक्ति और जनता के प्रति प्यार-दुलार के चलते वे वीर भील नायक बन गए, उनकी ख्याति संपूर्ण मेवाड़ में फैल गई। इस दौरान 1576 ई. में मेवाड़ में मुग़लों का संकट उभरा। इस संकट के काल में महाराणा प्रताप ने भील राणा पूंजा का सहयोग मांगा। ऐसे समय में भील मां के वीर पुत्र राणा पूंजा ने मुग़लों से मुकाबला करने के लिए मेवाड़ के साथ अपने दल के साथ खड़े रहने का निर्णय किया। महाराणा को वचन दिया कि राणा पूंजा और मेवाड़ के सभी भील भाई मेवाड़ की रक्षा करने को तत्पर है। इस घोषणा के लिए महाराणा ने पूंजा भील को गले लगाया और अपना भाई कहा।
3 سال پیش در تاریخ 1400/09/02 منتشر شده است.
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