गोस्वामी श्रीहित मोहित मराल जी महारज ने बताया कैसा था हरिवंश महाप्रभु का जीवन
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सोलहवीं शताब्दी में एक ऐसे
सोलहवीं शताब्दी में एक ऐसे भक्त का जन्म हुआ जिन्हें भारत के नागरिक प्रभु कृष्ण और राधा का साक्षात स्वरूप मानते हैं। आज करीब साढ़े पांच सौ साल बाद उनके जीवन परिचय को एक बार फिर उसी मुकम्मल तरीके से उन्हीं के वंशज की जुबानी आप सबों के सामने पेश करने का मौका संत संवाद को मिला है। कला के धनी, तमाम कलाओं में निपुण, एक अदभुत व्यक्तित्व, एक अविस्मिरणीय जीवन को जीने वाले श्री हित हरिवंश के बारे में इंटरनेट पर बहुत कम और हल्की जानकारी उपलब्ध है, यह वीडियो उनके बारें में ठोंस और जिम्मेदार सूचना देता है क्योंकि उनके बारे में जो जानकारी प्रेषित की जा रही है वो उन्हीं के 18वें वारिश और वर्तमान तिलकायत अधिकारी, श्रीहित मोहित मराल जी महाराज कह रहे हैं। ऐसा सुयोग बनना बिना लालजू यानी कि श्री राधावल्लभ लाल की कृपा के संभव नहीं था...आप सब इस इंटरव्यू को सुनें, जानें और समझें तभी यह पता लग पाएगा कि भारत के इतिहास में ऐसे अदभुत भक्त हुए हैं और हमें इनके बारे में कितना कम पता है...सबसे बड़ी बात तो ये कि हरिवंश महाप्रभु थे कौन? भक्ति से इतर देखेंगे तो हरिवंश महाप्रभु का जीवन एक बड़ा ही अनोखा और अदभुत जीवन था, ऐसे कमाल के व्यक्ति थे कि तमाम समाजिकता का निर्वाह करते हुए परम भक्ति की नींव रखी। शास्त्र और वेद से परे प्रेम का ऐसा दीपक जलाया कि वो आज भी वृन्दावन को रौशन कर रहा है। आइये इस रौशनी में थोड़ा हम भी अपना जीवन रौशन करें...राधावल्लभ श्री हरिवंश
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در تاریخ 1402/01/14 منتشر شده
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