Chandbardai | चंदवरदाई - "पृथ्वीराज रासो" जीवन परिचय व साहित्यिक परिचय | हिंदी साहित्य
188 بار بازدید -
6 ماه پیش
-
चंदवरदायी - "पृथ्वीराज रासो" जीवन
चंदवरदायी - "पृथ्वीराज रासो" जीवन परिचय व साहित्यिक परिचय | हिंदी साहित्य
नमस्कार,
हम इस वीडियो क्लास के द्वारा आपको हिंदी साहित्य के आदिकाल में वीरगाथा काव्या में सबसे अधिक प्रसिद्ध ग्रंथ "पृथ्वीराज रासो" व उसके रचयिता चंदवरदायी के बारे में उनके जीवन परिचय ,कवि परिचय और काव्य परिचय के बारे में विस्तार से बात करेंगे। दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज चौहान के विषय में इस ग्रंथ में क्या वर्णन है और यह ग्रंथ प्रमाणिक है या नहीं इस विषय में बात की है।
चंद्रवरदाई के बारे में, 👇🏻
चंद्रवरदाई का जन्म सन 1148 को लाहौर में हुआ। उनके पिता का नाम राव वैण था । राव वैण अजमेर के चौहानों के पुरोहित थे । इसी से चंद को अपने पिता के साथ राजकुल के संपर्क में आने का अवसर मिला । बाल्यकाल से ही यह प्रतिभाशाली सिद्ध हुए और फिर भी इन्होंने भाषा साहित्य, व्याकरण, छंद, प्राण, ज्योतिष, आदि का ज्ञान प्राप्त कर लिया । दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज चौहान के ना केवल राज्य कवि घोषित हुए बल्कि उनके सलाहकार व मित्र भी बन गए। चंद्रवरदाई केवल कवि ही नहीं थे अस्त्र- शस्त्र की विधिवत शिक्षा ली उन्होंने प्राप्त की थी और युद्ध के समय वे सदैव सेना के साथ लेकर अपने रण कौशल का भी परिचय देते थे । "पृथ्वीराज रासो" चंदबरदाई की प्रसिद्ध रचना है। पृथ्वीराज रासो हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहलाता है। इस ग्रंथ से चंद्रवरदाई की वीरता और मित्र भक्ति का परिचय परिचय मात्रा में मिलता है।
#chandbardai #prithvirajraso #kavichandbardai
#हिंदी_साहित्य #चंदवरदायी #Prithvirajraso #hindisahitya #kavita
कवि चंद्रवरदाई का जीवन परिचय | हिंदी का प्रथम महाकाव्य |पृथ्वीराज रासो | Chand Bardai
prithviraj raso by chand bardai,
पृथ्वीराज रासो महाकाव्य , Prithviraj Raso : Chand Baradayi ,
prithviraj raso kiski rachna hai,
पृथ्वीराज रासो | prithviraj raso | हिंदी साहित्य,
chand bardai ka jeevan parichay,
chandravardai jivan parichay,
नमस्कार,
हम इस वीडियो क्लास के द्वारा आपको हिंदी साहित्य के आदिकाल में वीरगाथा काव्या में सबसे अधिक प्रसिद्ध ग्रंथ "पृथ्वीराज रासो" व उसके रचयिता चंदवरदायी के बारे में उनके जीवन परिचय ,कवि परिचय और काव्य परिचय के बारे में विस्तार से बात करेंगे। दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज चौहान के विषय में इस ग्रंथ में क्या वर्णन है और यह ग्रंथ प्रमाणिक है या नहीं इस विषय में बात की है।
चंद्रवरदाई के बारे में, 👇🏻
चंद्रवरदाई का जन्म सन 1148 को लाहौर में हुआ। उनके पिता का नाम राव वैण था । राव वैण अजमेर के चौहानों के पुरोहित थे । इसी से चंद को अपने पिता के साथ राजकुल के संपर्क में आने का अवसर मिला । बाल्यकाल से ही यह प्रतिभाशाली सिद्ध हुए और फिर भी इन्होंने भाषा साहित्य, व्याकरण, छंद, प्राण, ज्योतिष, आदि का ज्ञान प्राप्त कर लिया । दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज चौहान के ना केवल राज्य कवि घोषित हुए बल्कि उनके सलाहकार व मित्र भी बन गए। चंद्रवरदाई केवल कवि ही नहीं थे अस्त्र- शस्त्र की विधिवत शिक्षा ली उन्होंने प्राप्त की थी और युद्ध के समय वे सदैव सेना के साथ लेकर अपने रण कौशल का भी परिचय देते थे । "पृथ्वीराज रासो" चंदबरदाई की प्रसिद्ध रचना है। पृथ्वीराज रासो हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहलाता है। इस ग्रंथ से चंद्रवरदाई की वीरता और मित्र भक्ति का परिचय परिचय मात्रा में मिलता है।
#chandbardai #prithvirajraso #kavichandbardai
#हिंदी_साहित्य #चंदवरदायी #Prithvirajraso #hindisahitya #kavita
कवि चंद्रवरदाई का जीवन परिचय | हिंदी का प्रथम महाकाव्य |पृथ्वीराज रासो | Chand Bardai
prithviraj raso by chand bardai,
पृथ्वीराज रासो महाकाव्य , Prithviraj Raso : Chand Baradayi ,
prithviraj raso kiski rachna hai,
पृथ्वीराज रासो | prithviraj raso | हिंदी साहित्य,
chand bardai ka jeevan parichay,
chandravardai jivan parichay,
6 ماه پیش
در تاریخ 1402/11/10 منتشر شده
است.
188
بـار بازدید شده