बीत गई सो बात गई: बच्चन Beet Gayi So Baat Gayi : Harivanshrai Bacchan RCU NEP BA 2nd Sem Hindi DSC1

4 هزار بار بازدید - 3 سال پیش - Motivational Poem with English Translation‘जो
Motivational Poem with English Translation
‘जो बीत गई सो बात गई !’
चौथे दशक में अपनी 'मधुशाला' इस काव्यरचना द्वारा जनमानस को प्रभावित करनेवाले हालावाद के प्रवर्तक हिंदी भाषा के मशहूर कवि और लेखक हैं हरिवंश राय बच्चन। हिन्दी साहित्य जगत में कवि की प्रसिद्धि अपनी ‘मधुशाला’ रचना के कारण है, लेकिन उनकी छोटी-छोटी कविताएँ भी पाठकों का दिल जीतने में काफ़ी सफल रही हैं। उनमें से एक महत्वपूर्ण कविता है ‘जो बीत गई सो बात गई!’

यह कविता अपने विषय की सहजता, सरलता एवं उद्देश्य के लिए आज भी बहुत लोकप्रिय है । इस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जो छूट गया उसे जाने दो। जो चीज़ खत्म हो गयी हो उसपर निरंतर शोक व्यक्त करना व्यर्थ है। प्रकृति भी यही सिखाती है। हर पल उससे अपना कोई न कोई छूटता है पर क्या वो उस पर शोक मनाती है। नहीं ना? हर काल में, हर ऋतु में नए जीवन की उत्पत्ति होती है। जो बीत गया उसे जाने दो।

इस कविताद्वारा बच्चन बताना चाहते हैं कि हर एक के जीवन में सुख और दुखों का अनुभव अवश्य ही प्राप्त होता है। पर हमें बीते हुए दुखों को याद कर वर्तमान में शोक नहीं मनाना चाहिए। जिस प्रकार आकाश अपने तारों के टूटने और पेड़ अपने फूलों के मुरझा जाने से कभी शोक नहीं मनाता, उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने प्रिय वस्तु को खोने या उसको याद कर कभी शोक नहीं मनाना चाहिए। बल्कि जीवन के बाकी बचे हुए समय को सुखपूर्वक बिताना चाहिए।

यह कविता चार भागों में लिखी गई है। आज के युग में कभी ना कभी हम मानसिक परेशानियों से गुजरते हैं, ऐसी स्थिति में बच्चन जी की यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हमें सब कुछ भूल कर कैसे जीवन पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कवि ने तीन उदाहरण दिए है… आकाश, मधुवन, मधुशाला

प्रथम उदाहरण में कवि कहते है कि जो समय बीत गया उसे भूलने में ही हमारी भलाई है। मिलना और बिछड़ना यह प्रकृति का नियम है। जीवन में कभी कभी ऐसा होता है कि जो हमारे काफी प्रिय हैं, उनसे हमें बिछड़ना पड़ता है। इसे हमें स्वीकार करना चाहिए।

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया

इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए कवि आकाश में टूटते तारों से तुलना करता है। कहता है कि आकाश में रोज कितने तारे टूटते हैं। जो टूट जाते हैं वे फिर कभी नहीं मिलते। पर अंबर (आकाश) टूटे हुए तारों पर कभी शोक नहीं मनाता। इसलिए बीते हुए दु:ख पूर्ण समय को याद करना व्यर्थ है।

आगे कवि कुसुम का उदाहरण देते हुए कहते है कि मधुबन (फूलों का बगीचा ) में कितनी कलियां सूख गई, कितनी लताएं (वल्लरियां) मुरझा गईं । जो सूख गईं या मुरझा गईं, वे फिर कभी खिलती नहीं। पर मधुवन उन मुरझाएं फूलों पर कभी शोर नहीं मचाता। बीते हुए समय को पकड़ने का प्रयास व्यर्थ हैं। दुःख को पार कर हमे अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुशाला का उदाहरण देते हुए कवि कहते है कि जब हम जन्म लेते हैं, तभी से मृत्यु की ओर बढ़ने लगते हैं। जन्म का मूल कारण ही मृत्यु है । कवि ने इन पंक्तियों में जीवन की तुलना मदिरालय से की है ।मदिरालय में कितने ही प्याले टूट कर मिट्टी में मिल जाते हैं। जो टूट जाते हैं वह पुनः जुड़ नहीं पाते, परंतु टूटे तारों पर मदिरालय कभी नहीं पछताता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमारा शरीर मिट्टी का बना हुआ है और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा। परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है।

"जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया


मनुष्य अपने लक्ष्य की प्राप्ति में निष्फल होता है पर निष्फलता में कभी पछताना या हारना नहीं चाहिए। क्योंकि हारना नियम है ओर हारने के बाद ही हमे जीत का असली महत्व समझ में आता है।

अंतिम पंक्तियों में कवि कहते हैं, जिस इन्सान की ममता घट प्यालो पर होती है वो कच्चा पीनेवाला है।

"वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई।"

दुःख हर किसी के जीवन में आता है, पर मनुष्य को पिछले जीवन में मिले दर्द को सोचकर अपना आज, वर्तमान या भविष्य बिगाड़ना नहीं चाहिए। जो व्यक्ति मानसिक रूप से दृढ़ होते हैं, वे उस समय को याद कर अपना भविष्य बर्बाद नहीं करते। इन्सान को अपने जीवन को सफल बनाने हेतु "जो बीत गई सो बात गई" का सिद्धांत अपनाना चाहिए। लक्ष्य की प्राप्ति में अड़चन तो आयेगी ही, पर उसी में ऊपर उठना भी इन्सान को आना चाहिए।
3 سال پیش در تاریخ 1400/09/24 منتشر شده است.
4,049 بـار بازدید شده
... بیشتر