Hathras Mela,Mela Shree Dauji Maharaj Hathras ,लक्खी मेला हाथरस ,Dauji Mela ,Dauji Mela Hathras,2023

Hum Brajwasi
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Hathras Mela,Mela Shree Dauji Maharaj Hathras ,लक्खी मेला हाथरस ,Dauji Mela ,Dauji Mela Hathras,2022
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हाथरस के किला क्षेत्र में लगने वाले  लक्की मेला श्री दाउजी महाराज का इतिहास बड़ा ही रोचक है और उससे अधिक  भी रोचक है
दाउजी मंदिर का इतिहास
हाथरस:जिले के ऐतिहासिक किला क्षेत्र में एक पखवाड़े से अधिक समय तक चलने वाले ब्रज क्षेत्र के लक्खी मेला श्री दाऊजी महाराज का 111 इस मेला परिसर में एक छोर पर दाऊजी महाराज का मंदिर है तो दूसरी ओर काले खां की मजार है.
हाथरस रियासत के राजा दयाराम थे, जिनके किले में सैकड़ों वर्ष पुराना श्री दाऊजी महाराज का मंदिर है। बड़े बुजर्ग बताते हैं की अंग्रेजों ने इस मंदिर तो गिराने के लिए काफी प्रयास किये और अनेकों बार अंग्रेजों ने दाऊजी महाराज मंदिर पर तोप से गोले दागे लेकिन वह इस मंदिर का कुछ न बिगाड़ सके सभी गोले मंदिर के गुम्बद मैं जाकर लगे धंस गए  और इस मंदिर का कुछ न बिगाड़ सके ऐसे ही तीन तोप के गोले अभी मंदिर के गुम्बद में फंसे हुए हैं ,वहीँ एक गोला जो मंदिर के अंदर जाकर गिरा आज भी मंदिर में सुरक्षित रखा हुआ है और एक गोला जो काफी समयं बाद स्वंम ही मंदिर के गुम्बद से निकलकर मंदिर के अंदर गिरा उसे पुरातत्व विभाग को दे दिया गया, मंदिर के गुम्बद में आज भी तोप से दागे गए गोलों के निशान स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं यह मंदिर आज भी हाथरस के लोगों के लिए गर्भ का विषय है जो काफी प्राचीन समयं से अपने कीर्तिमान मस्तक को ऊपर किये हुए अडिग खड़ा है जिसका अंग्रेज भी कुछ न बिगड सके और इस मंदिर मैं श्रीकृष्ण के नाम से श्री दाऊजी महाराज का विग्रह विराजमान है।
इस मेले में प्रतिदिन लाखों की संख्या में लोग आते है. जहां पर करीब 20 दिन तक चलने वाले इस मेले में कई बड़े बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते है.यहाँ कुश्ती-दंगल का आयोजन होता है. इस मेले में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान दांवपेच दिखाते हैं यहां कुश्ती-दंगल में भाग लेने वाले पहलवान भी मानते हैं कि उन्हें यहां सीखने को बहुत कुछ मिलता है.मेले मैं दंगल आयोजन के पीछे कारण यह है की दाऊ बाबा को मल्लयुद्ध बहुत ही ज्यादा पसंद था इसी वजह से दाउजी मंदिर के पास मेले मैं हर साल मल्लयुद्ध यानी कुस्ती का आयोजन किया जाता है जो यहाँ ब्रज के लोगों को भी काफी प्रिय है
यहाँ छह दिनों तक दंगल का आयोजन होता है
दंगल देखने वालों से किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता यह एकदम फ्री है यहाँ बैठने के लिए दंगल अखाड़े के दोनों तरफ पक्की सीडियां बनी हुईं है जो इस स्थान को एक स्टेडियम जैसा लुक प्रदान करतीं हैं यहाँ कोई भी कहीं से भी आकार दंगल ,कवी सम्मलेन पंजावी दरबार ,जैसे अनेकों कार्यक्रमों का आनंद उठा सकता है जो पूर्णत निशुल्क है यहाँ हर साल काफी प्रशिद्ध फ़िल्मी हस्तियाँ मेले मैं आयोजित कार्यक्रमों मैं भाग लेती हैं जिन्हें दूर दूर से यहाँ बुलाया जाता है
बड़े बुजुर्गों का मानना है काफी समयं पहले हाथरस मैं कोई श्यामलाल नामक तहसीलदार हुआ करते थे। एक समयं श्यामलाल जी के पुत्र की तबीयत काफी खराब हो गई और काफी इलाज करने के बाद भी जब उसे कोई फायदा नहीं हुआ और वह लगभग मृत्यु के निकट पहुच चुका था। तब सपने मैं तह्शीलदार को  दाउजी महारज ने दर्शन दिए और आदेश दिया की मंदिर को मंदिर को खुलवाकर जो युद्ध के समयं से बंद पडा था खुलवाकर साफ़ सफाई और पूजा सेवा शुरू करो इसके उपरांत आपका पुत्र पुन:स्वस्थ हो जाएगा  मान्यता है की आदेश मिलते ही तहसीलदार ने मंदिर खुलवाकर सेवा-पूजा शुरू कराई और मृत्यु शैया पर पड़ा उनका पुत्र पूर्णत स्वस्थ हो इस चमत्कार को देखते ही तहशीलदार की भक्ति जाग उठी तब तहसीलदार ने पहली बार हाथरस मैं लक्खी मेला श्री दाउजी महाराज आयोजित कराया था, मेला लगते ही हजारों लोगों को इस मंदिर की जानकारी हुई और काफी संख्या मैं लोग यहाँ दर्शनों के लिए आने लगे तभी से यहां हर साल ये मेला लगता है,
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2 سال پیش در تاریخ 1401/06/31 منتشر شده است.
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