Surya Dev Aarti || Om Jai Surya Bhagwan Aarti || रविवार Special || Surya Dev Bhajan || Dev Bhakti

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202 بار بازدید - 3 هفته پیش - Surya Dev Aarti || Om
Surya Dev Aarti || Om Jai Surya Bhagwan Aarti || रविवार Special || Surya Dev Bhajan || Dev Bhakti


हिंदू धर्म में सूरज को देवता का रूप माना जाता है. भगवान सूर्य देव की वजह से ही पृथ्वी प्रकाशवान है. मान्यता है कि सूर्य देव की नियमित पूजा करने से तेज और सकारात्मक शक्ति प्राप्त होती है. ज्योतिषियों के अनुसार, नवग्रहों में से सूर्य को राजा का पद प्राप्त है.

ब्रह्माजी के पुत्र मरिचि से कश्यप का जन्म हुआ। कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्त मनु थे। विवस्वान को ही सूर्य कहा जाता है।

भगवान विष्णु की आंखों से उत्पन्न होने के कारण ही सूर्यदेव उनके ही नाम नारायण से जाने जाते हैं, इसीलिए संसार में उन्हें सूर्य नारायण कहा जाता है. यह भी कहते हैं कि सूर्य को नमस्कार करना,उसकी पूजा करना असल में भगवान विष्णु की ही पूजा-उपासना है.

सूर्य के देवता भगवान शिव हैं। सूर्य का मौसम गर्मी की ऋतु है। सूर्य के नक्षत्र कृतिका का फ़ारसी नाम सुरैया है।

अदिति के गर्भ से जन्म लेने के कारण इन्हें आदित्य कहा जाने लगा. इसके अलावा भी सूर्य के अन्य नाम जैसे कि दिनकर, रश्मि मते, भुवनेश्वर, प्रभाकर,सविता,भानू ,दिवाकर,आदिदेव,रवि और सप्तसती हैं.

धार्मिक ग्रंथों में सूर्य देव की दो पत्नियों का वर्णन मिलता है एक का नाम संध्या और दूसरी का नाम छाया है इनके पुत्र मृत्यु के देवता यमराज और शनिदेव है जो मनुष्य के कर्मों के अनुसार उन्हें परिणाम देते हैं.

जिन संस्कृतियों और धर्मों में सूर्य की प्रमुख पूजा की जाती है , उनमें पेरू में इंका, जॉर्डन में पेट्रा शहर का निर्माण करने वाले नाबातियन और जापान में शिंटो धर्म शामिल हैं। दक्षिण अमेरिका में इंका सभ्यता के लिए सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक सूर्य देवता, इंति थे।





ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
     ।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
           ।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
          ।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
         ।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
            ।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
               ।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
               ।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
                 ।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
           धरत सब ही तव ध्यान,
           ।।ॐ जय सूर्य भगवान।।
3 هفته پیش در تاریخ 1403/04/02 منتشر شده است.
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