RASHTRIYA MUDDE: POVERTY: PROBLEMS AND SOLUTION
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राष्ट्रीय मुद्दे में आज हम बात करेंगे भारत में ग़रीबी की क्या सूरतेहाल है और यह अभिशाप कब तक भारत के माथे से हटेगा। हाल ही में, विश्व आर्थिक मंच ने भारत में गरीबी के बारे में एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में 2030 तक क़रीब ढाई करोड़ परिवार ग़रीबी रेखा से ऊपर आ जायेंगे और इस तरह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की तादाद 15 फीसदी से घटकर महज़ 5 फीसदी रह जाएगी। दरअसल गरीबी को एक ऐसी हालत के रूप में देखा जाता है जिसमें किसी व्यक्ति के पास जीवन निर्वाह करने के लिये बुनियादी ज़रूरतें मसलन रोटी, कपड़ा और मकान भी नहीं होता है।संयुक्त राष्ट्र के मिलेनियम डेवलपमेंट गोल यानी एमडीजी के मुताबिक़, जो लोग एक दिन में सवा डॉलर से कम कमाते हैं, वे ग़रीब की केटेगरी में आते हैं। एक दशक पहले देश में ग़रीबी के आंकड़ों का पता लगाने के लिए तेंदुलकर समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने सन 2011 में करीब 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से नीचे चिन्हित किया था। एक दूसरे अर्थशास्त्री रंगराजन ने देश में गरीबों की तादाद करीब 36 करोड़ बतायी थी।
ANCHOR: क़ुरबान अली
GUESTS: नरेश चंद्र सक्सेना, पूर्व सचिव, योजनाआयोग
प्रोफ़ेसर आनंद प्रधान, लेखक और पत्रकार
REPORT: KESHARI PANDEY
GRAPHICS: IMRAN KHAN
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5 سال پیش
در تاریخ 1398/03/02 منتشر شده
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