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Pradipkumar Jha
Pradipkumar Jha
44 بار بازدید - 7 ماه پیش - शरीर : मन का अनुगामी;
शरीर : मन का अनुगामी; आसनों से चित्त में परिवर्तन अनिवार्य नहीं; भीतर से यात्रा शुरू करो;  
भीतर से काम शुरू करो; बाहर जो होता हो उसको रोको मत, उससे लड़ों मत, तो सब अपने से हो जाएगा। स्थूल शरीर से रेचन करना सरल; भौतिक शरीर के दमन से पागलपन की संभावना; पहला काम  रेचन कैथार्सिस का है, इसमें पहला काम निकास का है; तुम्हारे भीतर जो दबा हुआ कचरा है, वह बाहर फिंक जाए; पहले तुम हलके हो जाओ, तुम इतने हलके हो जाओ कि तुम्हारे भीतर पागलपन की सारी संभावना क्षीण हो जाए, फिर तुम भीतर यात्रा करो।
ऊर्जा के प्रवाह को ग्रहण करने के लिए झुकना जरूरी; शरीर के नुकीले हिस्सों से ऊर्जा का प्रवाह; जैसे हाथ की अंगुलियां या पैर की अंगुलियां। सब जगह से ऊर्जा नहीं बहती। शरीर की जो विद्युत—ऊर्जा है, या शरीर से जो शक्तिपात है, या शरीर से जो भी शक्तियों का प्रवाह है, वह हाथ की अंगुलियों या पैर की अंगुलियों से होता है, पूरे शरीर से नहीं होता।
ऊर्जा पाने के लिए खाली और खुला हुआ होना जरूरी; मंदिर, कब्रें— अशरीरी आत्माओं से संबंधित होने के उपाय; बुद्ध—पुरुषों का मरने के बाद वायदों को पूरा करना; तिब्बत में एक जगह थी जहां बुद्ध का आश्वासन पिछले पच्चीस सौ वर्ष से निरंतर पूरा हो रहा है। पांच सौ आदमियों की, पांच सौ लामाओं की एक छोटी समिति है। उन पांच सौ लामाओं में से जब एक लामा मरता है तब बामुश्किल से दूसरे को प्रवेश मिलता है। उसकी पांच सौ से ज्यादा संख्या नहीं हो सकती, कम नहीं हो सकती। जब एक मरेगा तभी एक जगह खाली होगी। और जब एक मरेगा और एक को प्रवेश मिलेगा, तो शेष सबकी सर्वसम्मति से ही प्रवेश मिल सकता है। यानी एक आदमी भी इनकार करनेवाला हो तो प्रवेश नहीं मिल सकेगा। वह जो पांच सौ लोगों की समिति है, वह बुद्ध—पूर्णिमा के दिन एक विशेष पर्वत पर इकट्ठी होती है। और ठीक समय पर, निश्चित समय पर—जो समझौते का हिस्सा है—निश्चित समय पर बुद्ध की वाणी सुनाई पड़नी शुरू हो जाती है। पर यह हर किसी पहाड़ पर नहीं होगा और हर किसी के सामने नहीं होगा; एक निश्चित समझौते के हिसाब से यह बात होगी।
बुद्ध के पुनर्जन्म का रहस्य; सातवें शरीर के बाद वापस लौटना संभव नहीं है। सातवें शरीर की उपलब्धि के बाद पुनरागमन नहीं है; वह प्वाइंट ऑफ नो रिटर्न है। वहां से वापस नहीं आया जा सकता। लेकिन दूसरी बात सही है जो मैंने कही है कि बुद्ध कहते हैं कि मैं एक बार और आऊंगा, मैत्रेय के शरीर में, मैत्रेय नाम से एक बार और वापस लौटूंगा। अब ये दोनों ही बातें तुम्हें विरोधी दिखाई पड़ेगी। क्योंकि मैं कहता हूं सातवें शरीर के बाद कोई वापस नहीं लौट सकता; और बुद्ध का यह वचन है कि वे वापस लौटेंगे और बुद्ध सातवें शरीर को उपलब्ध होकर महानिर्वाण में समाहित हो गए हैं। तब यह कैसे संभव होगा? इसका दूसरा ही रास्ता है। असल में, सातवें शरीर में प्रवेश के पहले… अब तुम्हें थोड़ी सी बात समझनी पड़े। जब हमारी मृत्यु होती है तो भौतिक शरीर गिर जाता है, लेकिन बाकी कोई शरीर नहीं गिरता। मृत्यु जब हमारी होती है तो भौतिक शरीर गिरता है, बाकी छह शरीर हमारे हमारे साथ रहते हैं। जब कोई पांचवें शरीर को उपलब्ध होता है, तो शेष चार शरीर गिर जाते हैं और तीन शरीर शेष रह जाते हैं—पांचवां, छठवां और सातवां। पांचवें शरीर की हालत में, यदि कोई चाहे….. .यदि कोई चाहे पांचवें शरीर की हालत में, तो ऐसा संकल्प कर सकता है कि उसके बाकी दूसरे और तीसरे और चौथे, तीन शरीर शेष रह जाएं। और अगर यह संकल्प गहरा किया जाए— और बुद्ध जैसे आदमी को यह संकल्प गहरा करने में कोई कठिनाई नहीं है— तो वह अपने दूसरे, तीसरे और चौथे शरीर को सदा के लिए छोड़ जा सकता है। ये शरीर शक्तिपुंज की तरह अंतरिक्ष में भ्रमण करते रहेंगे। दूसरा ईथरिक, जो भाव शरीर है, तो बुद्ध की भावनाएं, बुद्ध ने अपने अनंत जन्मों में जो भावनाएं अर्जित की हैं, वे इस शरीर की संपत्ति हैं। उसकी सब सूक्ष्म तरंग इस शरीर में समाहित हैं। फिर एस्ट्रल बॉडी, सूक्ष्म शरीर है। इस सूक्ष्म शरीर में बुद्ध के जीवन की जितनी सूक्ष्मतम कर्मों की उपलब्धियां हैं, उन सबके संस्कार इसमें शेष हैं। और चौथा मनस शरीर, मेंटल बॉडी है। बुद्ध के मनस की सारी उपलब्धियां! और बुद्ध ने जो मनस के बाहर उपलब्धियां की हैं, वे भी कही तो मन से ही हैं, उनको अभिव्यक्ति तो मन से ही देनी पड़ती है। कोई आदमी पांचवें शरीर से भी कुछ पाए, सातवें शरीर से भी कुछ पाए, जब भी कहेगा तो उसको चौथे शरीर का ही उपयोग करना पड़ेगा, कहने का वाहन तो चौथा शरीर ही होगा। तो बुद्ध की जितनी वाणी दूसरे लोगों ने सुनी है, वह तो बहुत कम है, सबसे ज्यादा वाणी तो बुद्ध की बुद्ध के ही चौथे शरीर ने सुनी है। जो बुद्ध ने सोचा भी है, जीया भी है, देखा भी है, समझा भी है, वह सब चौथे शरीर में संगृहीत है। ये तीनों शरीर सहज तो नष्ट हो जाते हैं—पांचवें शरीर में प्रविष्ट हुए व्यक्ति के तीनों शरीर नष्ट हो जाते हैं; सातवें शरीर में प्रविष्ट हुए व्यक्ति के बाकी छह शरीर नष्ट हो जाते हैं, सभी कुछ नष्ट हो जाता है—लेकिन पांचवें शरीर वाला व्यक्ति यदि चाहे तो इन तीन शरीरों के संघट को, संघात को अंतरिक्ष में छोड़ सकता है। ये ऐसे ही अंतरिक्ष में छूट जाएंगे जैसे अब हम अंतरिक्ष में कुछ स्टेशंस बना रहे हैं, वे अंतरिक्ष में यात्रा करते रहेंगे। और मैत्रेय नाम के व्यक्ति में वे प्रकट होंगे।
सूक्ष्म शरीरों का परकाया प्रवेश;
7 ماه پیش در تاریخ 1402/10/02 منتشر شده است.
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