Raj Yoga in Kundli | Nehru and Indira Gandhi ki Kundli main Raj Yoga

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7 هزار بار بازدید - 2 سال پیش - Raj Yoga in Kundli |
Raj Yoga in Kundli | Nehru and Indira Gandhi ki Kundli main Raj Yoga| राजयोग
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राज योग
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In this Video We have discussed Raj Yoga in horoscope of Jawahar Lal Nehru and Indira Gandhi Horoscope.

In the previous video of Jyotish Mantra Chanel I have explained
राज योग क्या है?, Whai is Raj Yog, क्या आपकी कुंडली में है राज योग,


What is Raj Yog in Horoscope?

The combination between Kendra Lord and Triangulare Lord is considered very benefic yoga and is called Raj Yoga.

किसी भी जन्म कुंडली में केंद्र व त्रिकोण के स्वामियों की युति राज योग कारक होती है |

राज योग क्या है?
यदि केन्द्र और त्रिकोण के स्वामि ग्रहों का आपस में सम्बन्ध हो परन्तु और किसी भाव के स्वामी ग्रहों से सम्बन्ध न हो तो यह सम्बन्ध शुभ फलदायक होता है |

बली केन्द्रेश और बली त्रिकोणेश यदि स्वयं दोष युक्त भी हों तो भी उनका सम्बन्ध योगकारक ही होता है |

दोष क्या है?

यदि केंद्र के स्वमी 3,6,8,11 के भी स्वामी हों तो दोषयुक्त कहलाते हैं |
त्रिकोण के स्वामी यदि 6,8 के भी स्वामी हों तो दोष युक्त कहलाते हैं |


नवम और दशम भाव के स्वामियों द्वारा विशेष  राज योग
जब नवम भाव का स्वामी दशम में और दशम भाव का स्वमी नवम में हो तो राजयोग बनता है |
जब नवम और दशम भाव के स्वामी नवम या दशम भाव में युति करें तो राजयोग बनता है |
जब नवम भाव का स्वामी दशम में हो या दशम भाव का स्वामी नवम में हो तो भी राज योग बनता है |

चुर्थेश और पंचमेश से बनने वाले राजयोग
चतुर्थेश पंचम भाव में और पंचमेश चतुर्थ भाव में
चुर्थेश और पंचमेश की युति चतुर्थ या पंचम भाव में
चतुर्थेश पंचम में या पंचमेश चतुर्थ भाव में  

चुर्थेश और नवमेश  से बनने वाले राजयोग
चतुर्थेश नवम  भाव में और नवमेश  चतुर्थ भाव में
चुर्थेश और नवमेश की युति चतुर्थ या नवम भाव में
चतुर्थेश नवम में या नवमेश चतुर्थ भाव  


सप्तमेश और पंचमेश से बनने वाले राजयोग
सप्तमेश पंचम भाव में और पंचमेश सप्तम भाव में
सप्तमेश और पंचमेश की युति सप्तम या पंचम भाव में
सप्तमेश पंचम में या पंचमेश सप्तम भाव में  

सप्तमेश और नवमेश से बनने वाले राजयोग
सप्तमेश नवम भाव में और नवमेश सप्तम भाव में
सप्तमेश और नवमेश की युति सप्तम या नवम भाव में
सप्तमेश नवम में या नवमेश सप्तम भाव में  

दशमेश और पंचमेश से बनने वाले राजयोग
दशमेश पंचम भाव में और पंचमेश दशम भाव में
दशमेश और पंचमेश की युति दशम या पंचम भाव में
दशमेश पंचम में या पंचमेश दशम भाव में  


जब किसी त्रिकोण के स्वामी का सम्बन्ध बली केन्द्रेश से हो या केन्द्रेश का सम्बन्ध बली त्रिकोणेश से हो तो एक बहुत ही शुभ और बली राजयोग बनता है |


केंद्र और त्रिकोण के स्वामियों का सम्बन्ध राज्योगकारक होता है | दो योगकारक ग्रहों की दशा के बीच किसी अस्म्बन्धी शुभ ग्रह की दशा भी शुभ फलदायक होती है |


यदि पाप ग्रहों का सम्बन्ध योगकारक ग्रहों के साथ हो तो उन पाप ग्रहों की अन्तर्दशा भी शुभ फलदायक होती है |


जब कोई एक ही ग्रह केंद्र व त्रिकोण का स्वामी हो तो उसे योगकारक कहते हैं | यदि इस योगकारक ग्रह का सम्बन्ध अन्य त्रिकोण के स्वामी के साथ हो जाये तो अति शुभ फलदायक होता है |


राहू और केतु यदि केंद्र में त्रिकोण के स्वामियों के साथ हों या त्रिकोण में केंद्र के स्वामियों के साथ हों तो योगकारक होते हैं |


यदि नवमेश और दसमेश अष्टमेश या एकादशेश भी हों तो ऐसे नवमेश और दसमेश के समंध से राजयोग नहीं होता |

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2 سال پیش در تاریخ 1400/12/15 منتشر شده است.
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