Solah Baras Ki Baali Umar Ko Salaam-Karaoke
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2 سال پیش
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निर्माता LV प्रसाद और निर्देशक
निर्माता LV प्रसाद और निर्देशक K बालाचंदर की फिल्म “इक दूजे के लिए” 1981 की ब्लॉक बस्टर फिल्म थी. कमाल के अभिनेता कमला हसन और प्लेबैक सिंगर SP बालासुब्रमनियम दोनों के लिए ये पहली हिंदी फिल्म थी. रति अग्निहोत्री की Debut फिल्म. ये फिल्म बालाचंदर जी की ही तेलुगु फिल्म “मारो चरित्र” का हिंदी रीमेक थी.
रति अग्निहोत्री उस वक़्त मात्र 16 साल की थीं. शुरू शुरू में बालाचंदर जी जैसे दिग्गज निर्देशक के सामने सहमी सहमी. पर बालाचंदर जी ने बड़ी मेहनत से उन से उस उम्र में भी उस तरह के expression करवाए जो कहानी की ज़रुरत थी. रति ने भी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी. वो बताती हैं कि एक सीन में जहाँ उन्हें पुरानी तस्वीरों की जली हुई राख चाय में डाल कर पीना था तो उन्होंने वाकई वो राख चाय के साथ पी. जब उन्हें बताया गया की photo में कई केमिकल हो सकते हैं तो भी उन्होंने परवाह नहीं की. बदकिस्मती से सीन भी एक शॉट में ओके नहीं हुआ और रीटेक करने पड़े. पर रति ने रीटेक वैसे ही दिए.
कहते हैं कि फिल्म को देखकर कई प्रेमी जोड़ों ने आत्महत्या कर ली थी. जिस के चलते K बालाचंदर जी को सरकारी तौर पर ये गुज़ारिश की गई थी कि वो इस फिल्म का end हैप्पी कर दें. मगर जब एकाध जगह उन्होंने वो कर के देखा तो दर्शकों ने बग़ावत कर दी और end को पहले जैसा करना पड़ा. हीरो हीरोइन दोनों की मौत होने के बावजूद भी फ़िल्म ब्लॉक बस्टर साबित हो ये आश्चर्य की बात थी.
“इक दूजे के लिए” बंगलुरु की कल्पना टॉकीज में 200 दिन तक चली. ये और बात है कि मूल तेलुगु फ़िल्म “मारो चरित्र” भी उसी टॉकीज में 693 दिन तक चली.
फिल्म की कामयाबी में संगीत का बहुत बड़ा योगदान रहा. संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी और गीत लिखे आनंद बक्षी जी ने.
प्रस्तुत गीत “सोलह बरस की...” मेरे ख़याल से लता दीदी के गाए चुनिन्दा बेहतरीन गीतों में से एक है और मेरे पसंदीदा गीतों में से है. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी की ये धुन तो बस कमाल की धुन है.
रति अग्निहोत्री उस वक़्त मात्र 16 साल की थीं. शुरू शुरू में बालाचंदर जी जैसे दिग्गज निर्देशक के सामने सहमी सहमी. पर बालाचंदर जी ने बड़ी मेहनत से उन से उस उम्र में भी उस तरह के expression करवाए जो कहानी की ज़रुरत थी. रति ने भी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी. वो बताती हैं कि एक सीन में जहाँ उन्हें पुरानी तस्वीरों की जली हुई राख चाय में डाल कर पीना था तो उन्होंने वाकई वो राख चाय के साथ पी. जब उन्हें बताया गया की photo में कई केमिकल हो सकते हैं तो भी उन्होंने परवाह नहीं की. बदकिस्मती से सीन भी एक शॉट में ओके नहीं हुआ और रीटेक करने पड़े. पर रति ने रीटेक वैसे ही दिए.
कहते हैं कि फिल्म को देखकर कई प्रेमी जोड़ों ने आत्महत्या कर ली थी. जिस के चलते K बालाचंदर जी को सरकारी तौर पर ये गुज़ारिश की गई थी कि वो इस फिल्म का end हैप्पी कर दें. मगर जब एकाध जगह उन्होंने वो कर के देखा तो दर्शकों ने बग़ावत कर दी और end को पहले जैसा करना पड़ा. हीरो हीरोइन दोनों की मौत होने के बावजूद भी फ़िल्म ब्लॉक बस्टर साबित हो ये आश्चर्य की बात थी.
“इक दूजे के लिए” बंगलुरु की कल्पना टॉकीज में 200 दिन तक चली. ये और बात है कि मूल तेलुगु फ़िल्म “मारो चरित्र” भी उसी टॉकीज में 693 दिन तक चली.
फिल्म की कामयाबी में संगीत का बहुत बड़ा योगदान रहा. संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी और गीत लिखे आनंद बक्षी जी ने.
प्रस्तुत गीत “सोलह बरस की...” मेरे ख़याल से लता दीदी के गाए चुनिन्दा बेहतरीन गीतों में से एक है और मेरे पसंदीदा गीतों में से है. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी की ये धुन तो बस कमाल की धुन है.
2 سال پیش
در تاریخ 1401/10/23 منتشر شده
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