त्रिनेत्र प्राप्ति साधना | त्रिकालदर्शी | Third eye | 7 chakra sadhna | #trikal

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101.5 هزار بار بازدید - 2 سال پیش - त्रिनेत्र प्राप्ति साधना | त्रिकालदर्शी
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नमस्कार मित्रों,आप सभी का एक बार फिर से दैवीक शक्तियां चैनल पर स्वागत हैं,हमारे चैनल से जुड़ेने के लिए,आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद,

मित्रों,इस विड में तीसरे नेत्र ( Third leye ) से जुडी़ कुछ विशेष जानकारी दि गयी हैं,यह विडियो भगवान शिव के तिसरे नेत्र से संबंधित हैं,इस विडियो मे तीसरे नेत्र को प्राप्ति के मार्ग को बताय गया हैं,


दोस्तों, आप सबने भगवान शिव के तीसरे नेत्र के बारे में तो सुना ही होगा या फ़ोटो में देखा होगा।आपने यह भी सुना होगा,कि ऐसे बहुत से ऋषि-महर्षि थे,जिन्होंने अपने साधना के बल से तीसरा नेत्र जागृत कर लिया था।वह

लेकिन प्रसन्न यह उठता है,कि एक व्यक्ति के केवल औल दो ही आखे होती हैं,तो यह तीसरा आख,का क्या चक्कर हैं,बहुत ऐसे लोग हैं,जो यह जानना चाहते है,कि तीसरे नेत्र को कैसे प्राप्त करे,इसकी साधना क्या हैं,इसके जागृत होने कैसा अनुभव होता हैं,साधक के अन्द कौन कौन सी शक्तियां रन होने लगती हैं,ऐसे बहुत से प्रश्न हैं,जो एक साधक के मन में चलते रहता हैं,
 तो मित्रों,आज हम आप सभी के,तिसरे नेत्र से संबंधित सभी प्रश्नों का उतर देने वाले है,आप विडियो में अंत तक बने रहें ,

मित्रों,आपको शरीर के सातो चक्रों के बारे में तो जरुर पता होगा। अगर नहीं जानते हैं,तो पहले इसे समझ ले,कि यह हैं क्या,
मित्रों,मानव शरीर के सातो चक्रों का इस प्रकार है,
मूलाधार,स्वाधिष्ठान,मणिपूरक,अनाहत,विशुद्धि,आज्ञाऔर सहस्रार चक्र। ये सभी चक्र हमारे के भिन्न भिन्न जगहो पर स्थापित हैं,यह हमारे शरीर के अलग अलग आयमो को दर्शाता हैं,इन सभी को जागृत करने से मानव शरीर,देव शरीर में रूपांतरीत हो जाती हैं,
उन्ही चक्रों के छठे चक्र ,जिसे आज्ञा चक्र कहते है,इसी को तीसरा नेत्र के रूप में जाना जाता हैं।
दोस्तों,बहुत से लोग समझते हैं,कि तीसरा नेत्र,दोनों अन्य नेत्रो के भाती,हमारे दोने भव के बीच लगे होंगें,लेकिन यह सत्य नहीं हैं,यह बाकी के दो भौतिक आँखों की तरह माथे पर नही लगा होता, बल्कि माथे पर दोनों भौंहों के बीचोबीच जो छठे चक्र का केंद्र होता है,उसे ही तीसरा नेत्र कहते हैं। भगवान शिव के फोटो में जो तीसरा नेत्र दिखाया जाता है,वो पूरी तरह से हम इंसानो की कल्पना मात्र ही है।

तीसरा नेत्र चूँकि सात मूल चक्रों में छठे चक्र को कहते हैं, इसलिए इसे जागृत करने के लिए इसके पहले के पांच चक्रों को जागृत करना अनिवार्य होता है,अगर आप इन सातों के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते हैं, तो हमे कमेंट में जरूर बताएं।


उपनिषदों में इसकी व्याख्या करते हुए लिखा गया है,कि जो साधक इस चक्र को जागृत कर लेता है,उसे अंतर्ध्वनि सुनाई देने लगता है। यह अंतर्ध्वनि स्वयं परमात्मा के शब्द होते है। जब यह ध्वनि पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाती है,तब साधक के लिए ब्रह्माण्ड के दरवाजे खुल जाते हैं,और उसे पूरे ब्रह्मांड में कही भी आने-जाने की आज्ञा मिल जाती है। इसलिए ही इसे आज्ञा चक्र कहते हैं।यहा तक कि जब भी किसी साधक के शरीर में देवताओ के कुछ उर्जा समाहित होते हैं,तो सबसे पहले मुला धार चक्र पर जाता और उसके अज्ञा चक्र पर पहुचता हैं,देवताओ कि उर्जा शक्ति इसी चक्र के माध्यम से साधरण व्यक्ति के बात करता हैं,और उनकी समस्याओं के समान बताते हैं,

तीसरा नेत्र खोलने का तरीका,
मित्रों,इस चक्र को जागृत करने के लिए,साधक को पहले मूलाधार चक्र से लेकर विशुद्ध चक्र तक जागृत करना होता है। विशुद्ध चक्र की जागृति के बाद ही साधक आज्ञा चक्र को जागृत करने के काबिल बन पाता है

तो तीसरे नेत्र की यही शक्ति है कि जागृत करने वाले साधक के भीतर की हर तरह की वासना को खत्म कर सकती है और उसके बाद साधक का मन सर्वदा परमानंद में डूबा रहता है।

दोस्तों, शरीर विज्ञान में भी ठीक माथे के बिचोबिच एक ग्रंथि की खोज हुई है, जिसे पिनियल ग्रंथि कहते है। यह ग्रंथि अगर एक बार स्रावित होना आरम्भ हो जाता है तब इंसान का मन अत्यंत सुख से भर जाता है। इस ग्रंथि के स्राव से संभोग से भी ज्यादा सुख की अनुभूति होती है


आज्ञा चक्र कैसे सिद्ध करें ?

मित्रों,यह चक्र भ्रू मध्य मतलब दोनों आँखों के बीच में केंद्रित होता है । व्यक्ति को इस चक्र को जागृत करने के लिए मूल मंत्र " ॐ " का उच्चारण करना चाहिए । इसके जागृत होते ही देव शक्ति प्राप्त होती है । दिव्या दृष्टि की सिद्धि होती है । दूर दृष्टि प्राप्त होता है , त्रिकाल ज्ञान मिलता है । आत्मा ज्ञान मिलता है , देव दर्शन होता है । व्यक्ति अलोकिक हो जाता है

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2 سال پیش در تاریخ 1401/12/08 منتشر شده است.
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