Dera Baba Murad Shah Ji [Nakodar] Cinematic Travel || Video-4K || Nakodar Mela || Saniya's Vlogs

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16.1 هزار بار بازدید - 11 ماه پیش - Dear Baba Murad Shah Ji
Dear Baba Murad Shah Ji [Nakodar] Cinematic Travel Video-4K || Nakodar Mela @Saniyavolgs-yb6qr

Baba Murad shah ji Histroy in Hindi

जै बाबा मुराद शाह जी
जै बाबा शेरे शाह जी | जै बाबा मुराद शाह जी | जै बाबा लाडी शाह जी नकोदर शहर जिसे पीरों और फ़क़ीरों की धरती भी कहा जाता है. न-को-दर जिस का मतलब ही है, इस जैसा ना कोई दर. जहाँ ब्रहम ज्ञानीयों ने जनम लीया और इस धरती को चार चाँद लग गए. आज़ादी से पहले की बात है एक फ़क़ीर बाबा शेरे शाह जी पाकिस्तान से पंजाब आये. जिन्होंने रहने के लीये नकोदर की धरती को चुना. जो वीरानों और जंगलों में ही रहना पसंद करते थे. बाबा जी ज़्यादां तर लोगों को अपने पास आने से रोकते थे जिससे उनकी इबादत में विघन ना पड़े. और कभी कभी छोटे पत्थर भी मारते जिससे उन्हें लोग पागल समझें और पास ना आएं. वो अपना ज़्यादां तर वक़्त ईष्वर की बंदगी में ही लगते थे और वारिस शाह की हीर पढ़ते रहते थे.
नकोदर शहर में एक ज़ैलदारों का परिवार भी रहता था जो पीरों फ़क़ीरों की सेवा के लीये सदा तैयार रहते था. एक बार उनके घर एक फ़क़ीर आए जिनकी उन्होंने बहुत सेवा की, फ़क़ीर ने खुश होकर कहा मांगो जो माँगना चाहो. उन्हों ने कहा ईष्वर का दिया सब कुछ है बस भगवान का नाम चाहिए. फ़क़ीर ने कहा एक नहीं बल्कि दो दो भगवान का नाम लेने वाले तुम्हारे पैदा होंगे. उस परिवार में जल्दी ही एक बच्चे ने जन्म लिया जिसका नाम विदया सागर रखा गया. जिनको आज हम बाबा मुराद शाह जी के नाम से जानते हैं. बाबा जी तीन भाई थे, बाबा जी सबसे छोटे थे. बाबा जी पढाई लिखाई में बहुत अब्वल थे और उस ज़माने में भी बहुत आगे तक पढ़े. पढाई ख़तम होने के बाद उन्होंने ने नौकरी शुरू कर दी. बाबा जी बिजली बोर्ड दिल्ली में SDO के पद पर काम करते थे. ਜजहाँ बाबा जी काम करते थे वहां उनके साथ एक मुस्लिम लड़की भी काम करती थी. बाबा मुराद शाह जी उनसे रूहानी प्यार करते थे, एक दिन उस लड़की की शादी तय हो गयी और उसने बाबा मुराद शाह जी से कहा की अगर मुझसे शादी करनी है तो पहले मुस्लमान बनना होगा. यह सुनकर बाबा जी ने घर वापिस चले जाने का फैसला किया, नौकरी छोड़ दी और एक तरह से दुनिया की हर चीज़ से मोह टूट गया. उन्होंने वारिस शाह की हीर किताब खरीदी और हीर पढ़ते पढ़ते अपने शहर नकोदर की तरफ पैदल ही चलते रहे, और रासते में जितने भी धार्मिक स्थान आते गए वह सजदा करते हुए चलते रहे और नकोदर पहुँच गए. जब घर के पास पहुंचे तो उन्हें बाबा शेरे शाह जी के दर्शन हुए. शेरे शाह जी ने आवाज़ लगायी "ओह विदया सागर कहाँ जा रहे हो ?" बाबा जी ने सोचा की यह कोई रूहानी इंसान लग रहे हैं और पास चले गए. शेरे शाह जी ने फिर पूछा "क्यों फिर मुस्लमान बनना है ?" बाबा जी ने कहा "जी बनूँगा". शेरे शाह जी ने कहा जाओ फिर एक बार अपने घर जाकर सबसे मिल आओ और आकर टूटी प्यार की तार को ईष्वर से जोड़लो, फिर ना मुसलमान की ज़रूरत ना हिन्दू की. बाबा मुराद शाह जी घर जाकर सबसे मिल आए और शेरे शाह जी के पास रहकर उनकी सेवा करने लगे

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11 ماه پیش در تاریخ 1402/06/26 منتشر شده است.
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