चंबल नदी के बीहड़ के आस पास के गांव, शहरो का जीवन और ज़मीनी हकीकत और जीवन संघर्ष।

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207.8 هزار بار بازدید - 4 سال پیش - चंबल नदी के बीहड़ के
चंबल नदी के बीहड़ के आस पास के गांव, शहरो का जीवन और ज़मीनी हकीकत और जीवन संघर्ष। चंबल नदी में नहा रही बालिका को मगरमच्छ के खींच लेने की घटना से इलाके में दहशत है। ग्रामीणों ने नदी जाना छोड़ दिया है। वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि चंबल में मगरमच्छ, घड़ियाल के साथ ही कई जीव हैं। बालिका को मगरमच्छ ने खींचा या किसी अन्य जीव ने, अभी यह तय नहीं है। मालूम हो कि आगरा जनपद के वाह से लेकर इटावा पंचनद तक चंबल नदी को घड़ियाल, मगरमच्छ एवं डाल्फिन मछली के संरक्षण की दृष्टि से सेंचुरी घोषित किया गया है। घड़ियाल एवं मगरमच्छ अपने अंडे बालू में ही देते हैं। उनके प्रजनन को किसी तरह से नुकसान न पहुंचे इसलिए पूरे क्षेत्र में खनन, मछलियों का शिकार प्रतिबंधित है। इस इलाके के लोगों से नदी में जाने से भी मना किया गया है। इसके बाद नदी के किनारे बसे लोग नहाने के लिए चंबल नदी में जाते हैं। सोमवार को ढकपुरा गांव निवासी बालिका को नहाते समय किसी जीव ने खींच लिया। बालिका नीरज की मां ने मगरमच्छ के खींचने की बात बताई। दूसरी तरफ वन्य जीव जंतु प्रतिपालक सुरेशचंद्र राजपूत का कहना है कि चंबल में बड़ी संख्या में घड़ियाल है। ये हमला कम ही करते हैं। मगरमच्छ का सवाल है तो वह हमला कर सकता है। लेकिन घाट पर तमाम लोग मौजूद थे। भीड़ होने पर वह हमला करने की हिम्मत नहीं जुटाता है। ऐसे में बालिका को कौन सा जानवर खींच, यह स्पष्ट तौर पर कहा नहीं जा सकता है। इस समय जलचरों में प्रजनन का समय चल रहा है। चंबल नदी में नहा रही बालिका को मगरमच्छ के खींच लेने की घटना से इलाके में दहशत है। ग्रामीणों ने नदी जाना छोड़ दिया है। वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि चंबल में मगरमच्छ, घड़ियाल के साथ ही कई जीव हैं। बालिका को मगरमच्छ ने खींचा या किसी अन्य जीव ने, अभी यह तय नहीं है। मालूम हो कि आगरा जनपद के वाह से लेकर इटावा पंचनद तक चंबल नदी को घड़ियाल, मगरमच्छ एवं डाल्फिन मछली के संरक्षण की दृष्टि से सेंचुरी घोषित किया गया है। घड़ियाल एवं मगरमच्छ अपने अंडे बालू में ही देते हैं। उनके प्रजनन को किसी तरह से नुकसान न पहुंचे इसलिए पूरे क्षेत्र में खनन, मछलियों का शिकार प्रतिबंधित है। इस इलाके के लोगों से नदी में जाने से भी मना किया गया है। इसके बाद नदी के किनारे बसे लोग नहाने के लिए चंबल नदी में जाते हैं। सोमवार को ढकपुरा गांव निवासी बालिका को नहाते समय किसी जीव ने खींच लिया। बालिका नीरज की मां ने मगरमच्छ के खींचने की बात बताई। दूसरी तरफ वन्य जीव जंतु प्रतिपालक सुरेशचंद्र राजपूत का कहना है कि चंबल में बड़ी संख्या में घड़ियाल है। ये हमला कम ही करते हैं। मगरमच्छ का सवाल है तो वह हमला कर सकता है। लेकिन घाट पर तमाम लोग मौजूद थे। भीड़ होने पर वह हमला करने की हिम्मत नहीं जुटाता है। ऐसे में बालिका को कौन सा जानवर खींच, यह स्पष्ट तौर पर कहा नहीं जा सकता है। इस समय जलचरों में प्रजनन का समय चल रहा है। चम्बल के किनारे और आसपास के जलाशयों में स्तानीय एवं ग्रीष्म-पथ प्रवास वाले पक्षियों में सारस,टिकड़ी, नकटा, छोटी डूबडूबी, सींगपर, जाँघिल, घोंघिल, चमचा, लोहरजंग, हाजी लगलग, सफेद हवासील, गिर्री बतख, गुगलर बतख, छोटी सिलही बतख, सफेद बुज्जा, कौआरी बुज्जा, कला बुज्जा, सिलेटी अंजन, नरी अंजन, गजपाँव, बड़ा हँसावर, टिटहरी, जर्द टिटहरी, अंधा बगुला, करछीया बगुला, गाय बगुला, गुडेरा, यूरेशियाई करवान, बड़ा करवान, छोटा पनकोवा, जल कूकरी, जीरा बटन, मोर, हीरामन तोता, कांटीवाल तोता, टुईयां तोता, सामान्य पपीहा, हरा पतरंग, अबलक चातक, कबूतर, धवर फाखता, चितरोया फाखता, ईट कोहरी फाखता, टूटरुं, कुहार भटतीतर, कोयल, करेल उल्लू,हुदहुद, नीलकंठ, मैना, अबलकी मैना, गुलाबी मैना, अबाबील, रामगंगरा, सफेद भौंह खंजन, बैंगनी शक्कर खोरा, मुनिया, बयां, चित्रित तीतर, सफेद तीतर, सिलेटी दुम फुदकी, गौरैया आदि प्रजातियों के पक्षी पाये जाते हैं। शीत ऋतु के दौरान अनेक प्रवासी पक्षी भी बड़ी संख्या में देखने को मिलते हैं। राजहंस, सरपट्टी सवन, नीलसर, छोटी मुर्गाबी, छोटी लालसिर बतख, तिधलरी बतख, पियासन बतख, अबलख बतख, सुर्खाब, गेड़वाल, जमुनी जलमुर्गी, जल पीपी, जलमुर्गी, पीहो, छोटी सुरमा चैबाहा, चुटकन्ना उल्लू, कला शिरशिरा एवं सफेद खंजन आदि प्रमुख प्रवासी पक्षी देखे जाते हैं। चम्बल नदी क्षेत्र में लगभग 150 प्रकार की पक्षी प्रजातियां पायी जाती हैं। घड़ियाल अभयारण्य में पर्यटन के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय सर्वाधिक उपयुक्त है। राजस्थान में जवाहर सागर से कोटा बैराज तक या तो नदी में नाव के माध्यम से या फिर नदी के तट पर जीप के द्वारा यात्रा की जा सकती है। चम्बल घड़ियाल अभयारण्य को नजदीक से देखने के लिए अनेक स्थानों पर व्यू पॉइंट्स बनाये गए हैं। चंबल नदी के किनारे बसे गांवों में दहशत, Etawah News in Hindi, Latest Etawah News in Hindi, national chambal sanctuary,national chambal gharial wildlife sanctuary,tourism,travel,tourist places,rajasthan, chambal river, crocodiles,gharial,चम्बल घड़ियाल अभयारण्य,राजस्थान,पर्यटन, पर्यटक स्थल,अभयारण्य,Prabhasakshi, in india,hindi ,हिंदी न्यूज़,प्रभासाक्षी, राजस्थान की गंगा चम्बल, चेदि राज्य, तंग घाटी, नदियों पर बसे भारतीय शहर, नीमच, प्रतापगढ़, राजस्थान, पृथ्वीराज चौहान, बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश, बाह, बुन्देलखण्ड, भारत की नदियों की सूची, भारत की नदी प्रणालियाँ, भेसरोडगढ़ किला, मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश का पर्यटन, मध्य प्रदेश का इतिहास, महेंद्र भटनागर, माच, मंडरायल, मुरैना ज़िला, यमुना नदी, राम प्रसाद 'बिस्मिल', राजस्थान की नदियों की सूची, श्योपुर, सरस्वती नदी, सिन्धु-गंगा के मैदान, गंगा नदी, गंगा की सहायक नदियाँ, आहड़ नदी, इटावा, करौली जिला, काली सिन्ध नदी, कुनू नदी, कुंवारी नदी, केशवरायपाटन, कोटा, कोटा जिला, अपवाह तन्त्र, उत्तर प्रदेश।, मुरैना ज़िला, यमुना नदी, चम्बल, चम्बलनदी, चंबल,.
4 سال پیش در تاریخ 1399/05/30 منتشر شده است.
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