डर और घबराहट को सामप्त करने के उपाय #DalaiLamaLesson#jaibhim#Lordbuddha#love#lordbuddhatv

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54 هزار بار بازدید - 4 سال پیش - ibe To Witness His Holiness
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हम दिन प्रतिदिन हमारे दुख बढ़ते चले जा रहे हैं.. ऐसी दुख तकलीफ सिर्फ अज्ञानता के कारण हैं... अज्ञानता को शत्रु के तौर पर देखते हुए... इसलिए दुख से छुटकारा पाने केउपाय जानते हुए हम खुश नहीं है... हम उसपर ध्यान नहीं दे पाते हैं... उपाय हमारे सामने होने के बावजूद भी हम उन चीजों को अनदेखा रखते हैं... यहां इसके बाद श्लोक नंबर 30 से होते हुए... जैसे कि इसमें कहा गया है कि उनके मोह को भी दूर करते हैं.... उस प्रकार मित्र कहा.. पुण्य कहां.. यहां मोह का अर्थ हैं कि पुणय को न अपनाना... पाप को अपनाना.. यानि अज्ञानता की जाना... खुदगर्जी के मन का त्याग करना जरूर है.. एक दफा हमारे साथ.. जब विज्ञान के सम्मेलन हो रहे थे.. तो एक वैज्ञानिक ने कहा था कि जो व्यक्ति सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं उन्हें दिल की बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है.. इसीलिए बौद्धिस्ट का अभ्यास करना हर तरह से लाभदायक है... पाप की त हो.. किसी के नुकसान की बात हो... ऐसे व्यक्ति हमेशा अकेले रहते हैं... हमेंशा  मन में घबराहट रहती है... डर मं जीना पड़ता है.. यहां इसी के माध्यम से कहा गया है कि जो ईश्वर को मानने वाले धर्म होते हैं... कि सारा संसार किसी एक द्वारा रचा गया है... ऐसा मानने वालों की श्रद्धा एक तरह की है... तो इश श्र्दधा में रहना ही अभ्यास है... अपने आप को परमात्मा का दास बनाकर जीना... तो ऐसे व्यक्तियों नें स्वार्थ कम होता है... तो अपने आप को भगवान का दास बना लेना... ऐसा ही भगवान बुद्ध के धर्म में भी शून्य के दर्शन या उसका अभ्यास कर स्वार्थ को कम किया जाता है... जो ईसाई धर्म के मित्र हैं उनमें भी मैं ये चीज देखता हूं कि जब आस्था के अभ्यास करते हैं तो इसकी वजह से आपाधापी के जीवन से छुटकारा पा लेते हैं... तो यही बात आज के समय में विज्ञान ने भी ऐसी चीजों को माना है... इसके बाद एक-एक करके पाठ करने की जरूरत नहीं है... जैसे कि कोई उपकार के बदले उपकार करें तो उसकी भी प्रशंशा होती है.. कुछ लोग अहंकार की भावना या घृणा की दृष्टि से देखते हुए भोजन देकर महान बन जाते हैं...
4 سال پیش در تاریخ 1399/12/13 منتشر شده است.
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