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Azamgarh Express
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55 بار بازدید - 10 ماه پیش - आज़मगढ़ के इस बाजार को
आज़मगढ़ के इस बाजार को मिनी दुबई के नाम से पहचान मिली... लेकिन यहां आज भी....


ये सरायमीर है  इसके नाम का डंका प्रदेश,देश ही नही बल्कि विदेशों में भी बजता है। ये वही सरायमीर है जिसको देखने के बाद कुछ लोगों ने इसको मिनी दुबई तक का नाम रखा था। क्योंकि यहाँ पर आपको विदेशी सामान भी आसानी से मिल सकते हैं। मगर जैसा इसका नाम है वैसा यहां पर कुछ भी नहीं है। जब हमने सरायमीर से बात करने की कोशिश की सिर्फ उसके आंख में आंसू थे। और वो बहते आँसुओ से अपनी बेबसी का इज़हार कर रही थी।

जिसके बाद मुझे कुछ सवाल करने की हिम्मत न हुई । क्योंकि उसके बहते आंसुओं ने मुझे वो जवाब दे दिया था जो ज़बान ने हिम्मत न कर सकी थी। हमने इस से कहा की कि तू कितनी खुशनसीब है तेरे चर्चे तो पूरी दुनिया में है। लेकिन इसका जवाब था किस खुशनसीबी की बात करते हैं मैं तो सिर्फ दूसरे की जरूरत को पूरी करती हूं । लेकिन मेरी जरूरत पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है।

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मेंरे यहां लोग दूर-दूर से मार्केट करने आते हैं। लेकिन मैं इतनी बदनसीब हूं कि पूरे जिला में सबसे खराब बिजली मुझे मिलती है । मेरी बेबसी देखिए मेरे यहां कोई ऐसा नाला नहीं है जिससे लोगों के पानी पास हो सके। मेरे रेलवे स्टेशन को गटर बना दिया गया है। लोग तो मुझे मिनी दुबई बोलकर खुश हो जाते हैं कोई मुझसे आकर पूछे मेरी हालत क्या है । मेरे बच्चों के खेलने के लिए एक खेल का मैदान तक नहीं है।  और लोग मुझे मिनी दुबई कहते हैं।

मेरे यहां गाड़ी से आने वाले लोगों के लिए एक पार्किंग की जगह तक नहीं है।  और लोग मुझे मिनी दुबई कहते है मेरी चकाचौंध को देखकर हैरत की निगाह से देखने वालों जरा मेरे अंदर झांक कर तो देखो।  मैं कैसी उजड़ी हुई तस्वीर हूँ । मेरे लोग जब कहीं बाहर जाते हैं तो उनको तिरछी निगाहों से देखा जाता है जानते हैं क्यों।

मैं तो किसी का बुरा नहीं चाहती मेरे यहां आने वाला खाली वापस नहीं जाता कौन ऐसी चीज है जो मेरे यहां नहीं मिलती। मैं अपनी लाचारी और बेबसी को छुपा कर भी लोगों के सामने ऐसे रहती हूं लोग मुझे मिनी दुबई समझते हैं। मैं तो इतना हक रखती हूं की बिजली से महरूम नहीं रखा जाए । मेरे बच्चे के लिए खेल का मैदान हो । मेरे यहां आने वालों के लिए पार्किंग हो । मेरा रेलवे स्टेशन रेलवे स्टेशन ही रहे गटर न रहे।

लेकिन कौन करेगा किससे कहूं किस से मैं फरियाद करूं। लोग धर्म के नाम पर जात के नाम पर मेरा प्रतिनिधि चुनते हैं। काश मैं उनसे कह सकती मेरा प्रतिनिधि धर्म और जात देखकर तो मत चुनो । क्योंकि मैं ही तो हूं जो तुम्हें खुशहाल जिंदगी दे रही हूँ । क्या तुम मुझे खुशहाल नहीं बना सकते हो । जब मेरे यहां आए तो देख कर कहने पर मजबूर हो जाये सरायमीर को जिसने भी मिनी दुबई कहा था गलत नहीं कहा था । और मेरा तुम्हारा दोनों का डंका पूरे विश्व में बजे।

मेरा ये पैगाम दोसरो तक पहुंचा देना फिर जल्द बात करूँगी ।
10 ماه پیش در تاریخ 1402/06/04 منتشر شده است.
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