जब पंत ने लगाया पैसों का पेड़ l मैंने छुटपन में पैसे बोये थे l सुमित्रा नंदन पंत l money tree l

Atoot Bandhan - Sahityadhara
Atoot Bandhan - Sahityadhara
414 بار بازدید - پارسال - जब पंत ने लगाया पैसों
जब पंत ने लगाया पैसों का पेड़ l मैंने छुटपन में पैसे बोये थे l धरती l कविता l सुमित्रा नंदन पंत l अटूट बंधन l money tree l money  mindset

मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे,
सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे,
रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी
और फूल फलकर मै मोटा सेठ बनूँगा!
पर बंजर धरती में एक न अंकुर फूटा,
बन्ध्या मिट्टी नें न एक भी पैसा उगला!-
सपने जाने कहाँ मिटे, कब धूल हो गये!


प्रस्तुत कविता "धरती कितना देती है" में प्रिय कवि सुमित्रा नंदन पंत ने भाग्यवाद का विरोध कर करम के महत्व को समझाया है l यह संदेश दिया है कि हम जैसा बोयेंगे वैसा ही पायेंगे। अच्छे कर्मों का फल अच्छा और बुरे कर्मों का फल बुरा ही होगा। बीज रूपी मणियाँ बोने से सेम रूपी फलियाँ ही उगेंगी तथा ममता, समता व भाईचारे के बीज बोयेंगे तो मानवता रूपी श्रेष्ठ फल प्राप्त होंगे। और अगर स्वार्थ बो दिया तो अंततः कुछ भी हाथ नहीं लगेगा l
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پارسال در تاریخ 1402/02/02 منتشر شده است.
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